Saturday, December 6, 2014

परछाई

कुछ तारे बस जमी पर उतरते उतरते रेह गये
दिल बस ख़ुशी कि आजमाईश करता रहा
धुंधली आखोमे चाह्तोका बादल झुमता रहा

तुम आये ना आये
बस सोचमे तुम्हारी गेहराई
कुछ आते जाते लम्हे
और दूर कही धुंधली परछाई
बस  परछाई नजदीक आते आते रेह गई

बस एक बार आ जाना
दूर जाते जाते एक नजर समा जाना
कुछ पुराने किस्से, बस बिना कहे केह जाना ||

-- सागर

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