Thursday, September 4, 2014

ए दिल कही और चल !!


ए दिल कही और चल 
सुना मन, सुनी आंखे लिये
ए मेरे दिल कही और चल !!

पुराने दरवाजे, पुराणी खिडकीया
पुराने झरोके, पुराणी हस्तीया
नये उजाले तखने , 
ए दिल कही और चल !!

धुवेमे खोई येह राहे
उमदी भरी भीड खोले ही बाहे
मुझे मेरी राह दिखाने 
ए दिल कही और चल !!

खो गया हु अपनो में हि कही 
परछाइयोमे धुंधली परछाइ मेरी 
अपनी परछाइ कि तलाश मे
ए दिल कही और चल !!

पुराने किस्से, पुरानी बाते 
नई उम्मिदे, नई चाहते
उम्मिदोकी इस दोहराहत से बहर लेकर
ए दिल कही और चल 

तू ना जाने रुका है कही
हथेलियोमे जखडी हथेलि मेरी
तोडके ये सारे बंधन यही
ए दिल कही और चल !!

खुदमे समाने कि कोशिश ये मेरी 
हवा मे मुस्कुराती बालो कि उलझन ये कही 
चंदा कि चांदणी लिये, धुंधली शाम लिये 
ए दिल कही और चल !!
ए दिल कही और चल !!

- सागर 

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